राजस्थान में शुक्रवार को पहले चरण का मतदान पूरा हो गया है. इस दौरान कई जिलों से अलग-अलग तस्वीरें सामने आई. कहीं पर शादी की रस्में छोड़कर दूल्हा-दुल्हन मतदान करने पहुंचे तो कहीं पर दो पार्टियों के समर्थकों के बीच झड़प देखने को मिली. दौसा में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ‘वोट बारात’ लेकर मतदान करने पहुंचे. तो झुंझुनूं में IRS अधिकारी सुशील कुल्हरि 21 किमी की दौड़ लगाकर मतदान करने पहुंचे. नागौर के कुचेरा में बीजेपी-आरएलपी समर्थक आपस में भिड़ गए. मौके पर पहुंचे रिछपाल मिर्धा ने पुलिस के साथ धक्का मुक्की की. वहीं चूरू में फर्जी वोटिंग रोकने के चक्कर दो पक्ष के लोगों में झगड़ा हो गया. एक व्यक्ति के सिर में चोट भी लगी. इसी तरह लोकतंत्र के इस पर्व में प्रदेश में पहले चरण का मतदान हुआ. इस बार 2019 की तुलना में वोटिंग प्रतिशत कम दिखाई दिया. प्रदेश में 12 सीटों पर इस बार करीब 6 फीसदी कम मतदान हुआ. इन सीटों पर 57.87 प्रतिशत मतदान हुआ. इनमें EVM पर 57.26 और पोस्टल बैलट पर 0.61 प्रतिशत वोटिंग हुई. फाइनल आंकड़ें चुनाव आयोग आज जारी करेगा. हालांकि इनमें मामूली बदलाव देखने को मिलेगा. 2019 में पहले चरण में 63.72% मतदान देखने को मिला था. जो कि इस बार से 6 प्रतिशत कम है.
पिछले चुनावों में कितना मतदान हुआ था
अगर हम पिछले 3 चुनावों की बात करें इनमें काफी अंतर देखने को मिलेगा. वर्ष 2009 में 12 सीटों पर 48.12% मतदान हुआ. 2014 में मोदी लहर में यह मतदान बढ़कर 61.66% हो गया था. वहीं 2019 में 63.72% मतदान हुआ और इस बार मतदान 57.87% आ पहुंचा. पिछले बार की तुलना में इस बार 5.85% वोटिंग कम हुई.
किस पार्टी को नुकसान?
चुनाव में कम वोटिंग होने से किस एक पार्टी को नुकसान होगा यह कहना तो मुश्किल होगा. लेकिन प्रदेश में जिसकी सरकार होती है तो संभवता कहा जाता है उस पार्टी को नुकसान होता है. अगर बीजेपी के वोटिंग प्रतिशत में कमी आती है तो सीधा-सीधा पिछली बार कम मार्जिन से जीत वाली सीटों पर टक्कर की संभावना बनेगी. इस बार जिन सीटों पर वोटिंग प्रतिशत घटा है वहां टक्कर की स्थिति बन सकती है.
किस जिले में कितना पड़ेगा असर
गंगानगर में पिछली बार की तुलना में 8.75% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 4 लाख वोटों से जीती थी.
बीकानेर में 2019 की तुलना में 5.28% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 2 लाख 64 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
चूरू में 2019 की तुलना में 2.68% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 34 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.
झुंझुनूं में 2019 की तुलना में 9.52% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 45 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.
सीकर में 2019 की तुलना में 7.48% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 2 लाख 57 हजार 156 वोटों से जीत दर्ज की थी.
जयपुर ग्रामीण में 2019 की तुलना में 8.42% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 93 हजार 172 वोटों से जीत दर्ज की थी.
जयपुर में 2019 की तुलना में 5.24% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 4 लाख 30 हजार 626 वोटों से जीत दर्ज की थी.
अलवर में 2019 की तुलना में 7.05% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से जीत दर्ज की थी.
भरतपुर में 2019 की तुलना में 6.16% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 18 हजार 399 वोटों से जीत दर्ज की थी.
करौली-धौलपुर में 2019 की तुलना में 5.78% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 27 हजार 296 वोटों से जीत दर्ज की थी.
दौसा में 2019 की तुलना में 6.00% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 78 हजार 444 वोटों से जीत दर्ज की थी.
नागौर में 2019 की तुलना में 5.14% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 1 लाख 81 हजार 260 वोटों से जीत दर्ज की थी.