Wednesday, April 24, 2024
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राजस्थान की इस हॉट सीट पर फंसा पेंच, दांव पर लगी BJP की साख, कौन मारेगा बाजी ?

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Lok Sabha Elections 2024: पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटी बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा (Barmer Jaisalmer Lok Sabha Seat) देश की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा सीट है. इस सीट पर करीब 22 लाख 5 हजार मतदाता हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में बाड़मेर जिले की बाड़मेर, चौहटन, शिव, गुड़ामालानी, बालोतरा जिले की बायतु पचपदरा सिवाना और जैसलमेर जिले की जैसलमेर मुख्यालय सीट आती हैं. इन आठ विधानसभा सीटों में से 5 पर बीजेपी का कब्जा है. जबकि 2 पर निर्दलीय और 1 पर कांग्रेस का विधायक है. इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा माना जाता था, लेकिन 2004, 2014 और 2019 में भाजपा ने रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज की थी.

 

बाड़मेर लोकसभा सीट का इतिहास

बाड़मेर लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो 1952 में पहली बार भवानी सिंह और 1957 में दूसरी बार रघुनाथ सिंह ने यहां से निर्दलीय जीत दर्ज की थी. 1962 में तनसिंह ने राम राज्य परिषद से जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1967 से लगातार दो बार कांग्रेस के अमृत नाहटा ने जीते. 1977 साल के चुनाव में जनता पार्टी से चुनाव लड़ रहे तन सिंह ने एक बार जीत दर्ज की थी. 1980 से लगातार कांग्रेस के वृद्धि चंद्र जैन सांसद रहें. 1989 में प्रदेश के दिग्गज राजपूत नेता कल्याण सिंह कालवी ने जनता पार्टी से लड़ा और जीतकर केंद्रीय कृषि बनाए गए. साल 1991 के चुनाव में दिग्गज जाट नेता रामनिवास मिर्धा ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते उनके बाद साल 1996, 98, 99 में तीन चुनावों में लगातार कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी ने जीत दर्ज की. साल 2004 में पहली बार केंद्रीय वित्त विदेश और रक्षा मंत्री रहे जसवंत सिंह जसोल के पुत्र मानवेंद्र सिंह जसोल ने पहली बार इस सीट से भाजपा का खाता खोला. साल 2014 के आम चुनाव जसवंत सिंह जसोल खुद इस सीट टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने के उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. लेकिन भाजपा कर्नल सोनाराम चौधरी ने 80 हजार वोट से चुनाव जीत लिया. 2019 लोकसभा चुनाव में जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा से चुनाव लड़ रहे कैलाश चौधरी से 3.30 लाख रिकॉर्ड वोटो से चुनाव हार गए.

 

बाड़मेर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

इस सीट पर कुल मतदाता करीब 22 लाख 5 हजार हैं. इनमें सबसे ज्यादा मूल ओबीसी के करीब 7 लाख मतदाता हैं. इनके अलावा जाट समाज के करीब चार लाख 50 मतदाता हैं. अल्पसंख्यक करीब 2.80 लाख और राजपूत करीब 3 लाख वोट हैं.

 

बाड़मेर लोकसभा सीट के बड़े मुद्दे

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट राजस्थान के पश्चिमी इलाके में स्थित है. इन इलाकों में पेयजल, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा सहित मूलभूत सुविधाओं का टोटा है. ऐसे में हर चुनाव में मूलभूत सुविधाएं ही बड़ा मुद्दा बनती रही हैं. इस बार मूलभूत सुविधाओं के साथ जिले में स्थापित हो रही रिफायनरी विंड एवं सोलर पावर सेक्टर सहित मल्टीनेशनल कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने का मुद्दा हावी है.

 

बाड़मेर लोकसभा सीट से प्रत्याशी

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से भाजपा ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है. कैलाश चौधरी 2019 में इसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के कर्नल मानवेंद्र सिंह जसोल से करीब 350000 के रिकॉर्ड तोड़ वोट से जीते थे. उन्हें केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया था. वहीं कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी छोड़कर पार्टी में शामिल हुए उम्मेदा राम बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया है. दोनों ही राजनीतिक पार्टी द्वारा जाट समाज के वोट बैंक को साधने के लिए जाट समाज के व्यक्ति को ही प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने भी निर्दलीय ही लोकसभा चुनाव में उतरे हैं. रविंद्र सिंह भाटी स्थानीय को रोजगार मूलभूत सुविधाओं के विस्तार सहित कई मुद्दों पर जनता के बीच जा रहे हैं तो भाजपा के कैलाश चौधरी राम मंदिर हिंदू राष्ट्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनावी मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी उम्मेदा राम बेनीवाल के प्रति लोगों में बायतु विधानसभा सीट से लगातार दो चुनाव हारने के चलते जबरदस्त सहानुभूति की लहर देखने को मिल रही है. इसी लहर के चलते जाट समाज एकजुट होकर कांग्रेस प्रत्याशी के साथ दिख रहा है.

 

भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी का प्रोफाइल

भाजपा से प्रत्याशी कैलाश चौधरी बालोतरा की रहने वाले हैं. वे जाट समाज से आते हैं. कैलाश चौधरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं. उन्होंने 2008 में बायतु से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी से चुनाव हार गए. दूसरी बार 2013 में फिर बायतु विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने. 2018 में भी कैलाश चौधरी ने बायतु विधानसभा सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ा, लेकिन तीसरे नंबर पर रहे. 2019 के आम चुनाव में आरएसएस की पैरवी के बाद उन्हें भाजपा ने बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतारा और भाजपा से ही बागी होकर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व केंद्रीय वित्त विदेश एवं रक्षा मंत्री और भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे जसवंत सिंह जसोल के बेटे मानवेंद्र सिंह जसोल को करीब 3.50 लाख रिकॉर्ड तोड़ वोटो से चुनाव जीतकर केंद्र में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री बनाए गए.

 

कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल का प्रोफाइल

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल भी जाट समाज से आते हैं. बेनीवाल बालोतरा जिले की बायतु विधानसभा क्षेत्र के गिड़ा के रहने वाले हैं. बेनीवाल दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की 10 साल की नौकरी के बाद 2018 में राजनीति में उतरे थे. उन्होंने हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की टिकट पर बायतु विधानसभा सीट से पहले चुनाव लड़ा था. लेकिन कांग्रेस के हरीश चौधरी से करीब 13000 वोट से चुनाव हार गए. दूसरी बार 2023 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की टिकट पर बायतु से ही चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी कांग्रेस के हरीश चौधरी से कांटे की टक्कर में महज 910 वोट से चुनाव हार गए. लगातार दो विधानसभा चुनाव में मिली हार उम्मेदा राम बेनीवाल का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट माना जा रहा है.

 

निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी का प्रोफाइल

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय ताल ठोक रहे रविंद्र सिंह भाटी ने राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की है. भाटी 2019 में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से छात्र संघ के चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विश्वविद्यालय के 57 साल के इतिहास में पहली बार निर्दलीय छात्र संघ अध्यक्ष बने. छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के दौरान छात्रों के मुद्दों को लेकर कई बार प्रदर्शन किया और पेपर लीक और युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर प्रदेश की तत्कालीन गहलोत सरकार के विरुद्ध विधानसभा का घेराव किया. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले रविंद्र सिंह भाटी भाजपा में शामिल हुए थे और इसी विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला जिसके बाद महज 9 दिन में पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने. विधानसभा चुनाव के बाद रविंद्र सिंह भाटी भाजपा के साथ जाना चाहते थे, लेकिन भाजपा के कई स्थानीय नेता उनके राह बेरिकेट लगाए हुए थे. और शिव विधानसभा सीट में राज्य सरकार द्वारा हेड पंप स्वीकृति की लिस्ट में रविंद्र सिंह भाटी की अनुशंसा पर दो हेड पंप और भाजपा से चुनाव लड़े प्रत्याशी की अनुशंसा पर 20 हेड पंप स्वीकृत होने के मामले पर उन्होंने लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया. इसके बाद प्रदेश से लेकर केंद्रीय स्तर के भाजपा नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. रविंद्र सिंह भाटी युवाओं में खासे चर्चित हैं. सोशल मीडिया पर उनके प्रति लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है और खासकर मूल ओबीसी में उनके प्रति क्रेज इस चुनाव में रविंद्र सिंह भाटी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है.

राजस्थान में पहले चरण के 12 सीटों पर किसकी होगी जीत? जानें, फलौदी सट्टा बाजार में किस पर लगा है स्पष्ट भाव!

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Phalodi Satta Bazar: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में कुल 12 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को चुनाव संपन्न है. फलौदी सट्टा बाजार में कुल 12 संसदीय क्षेत्रों पर जीत और हार को लेकर आकलन आ गया है. हालांकि परिणाम 4 जून को ही आएंगे, लेकिन उससे पूर्व पहले चरण में जीत-हार को लेकर सट्टा बाजार का आकलन आ गया है.फलोदी सट्टा बाजार 19 अप्रैल को संपन्न हुए 12 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर स्पष्ट भाजपा के भाव बता रहा है. वही, 2 सीटों पर कांग्रेस के स्पष्ट भाव बताए जा रहे हैं.जबकि सीकर सीट पर भयंकर टक्कर बताई जा रही है. अन्य 3 सीटों पर भाव आना बाकी है. भरतपुर  करोली – धौलपुर सीट और दौसा सीट में अब तक भाव नही खोले जा रहे है. गंगानगर, बीकानेर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, भरतपुर व नागौर में भाजपा के स्पष्ट भाव है. वहीं, चूरू, झुंझुनू सीट पर कांग्रेस का पलडा भारी है, जबकि सीकर सीट पर भयंकर टक्कर बताई जा रही है. तीनों सीटों पर भाव अभी तक नही खुले है. सट्टा बाजार में 3 तीन सीटों पर भाव नहीं आए है, मतलब वंहा असमज़न्स की स्थिति बनी हुई है. हाल में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई ज्योति मिर्जा के भी जीत के भाव है, यानी नागौर लोकसभा सीट से आरएपपी सुप्रीमो और इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल की हार मानी जा रही है. वहीं, बीकानेर सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता व केंद्रीय कानूनमंत्री की जीत के भाव तेज है, जबकि चूरू सीट पर राहुल कस्बा व झुंझुनू से बृजेन्द्र ओला की जीत बताई जा रही है.

Rajasthan Politics: ‘रविंद्र सिंह भाटी कांग्रेस की B-टीम’, भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी बोले- ‘जनता का समर्थन मोदी के साथ’

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Rajasthan Politics: ‘रविंद्र सिंह भाटी कांग्रेस की B-टीम’, भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी बोले- ‘जनता का समर्थन मोदी के साथ’भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी और निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी.

Rajasthan News: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण (Lok Sabha Elections 2024 2nd Phase) में राजस्थान की हॉट सीट बन चुकी बाड़मेर लोकसभा सीट (Barmer Lok Sabha Seat) पर बयानबाजी तेज हो चली है. मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौधरी (Kailash Chaudhary) ने निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) को कांग्रेस की बी-टीम बता दिया है.मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘पूरा बाड़मेर, जैसलमेर जानता है कि वह (रविंद्र सिंह भाटी) कांग्रेस की बी टीम हैं और उसी के अनुसार काम कर रहे हैं. वह कभी कांग्रेस के आदमी थे. कांग्रेस के उम्मीदवार भी आयातित है. जनता का समर्थन नरेंद्र मोदी के साथ है. जब कांग्रेस सत्ता में थी तो उन्होंने घोषणाएं कीं और वो घोषणाएं आज भी सिर्फ घोषणाएं ही हैं. वे इसे पूरा नहीं कर सके. वे घोषणा तो करते हैं लेकिन उन पर काम नहीं करते. लेकिन बीजेपी जो ‘संकल्प’ लेती है, उसे ‘संकल्प पत्र’ के जरिए पूरा करती है. पीएम मोदी ने पहले ‘संकल्प पत्र’ में जो भी ‘संकल्प’ लिए थे वो पूरे हुए हैं और आने वाले समय में भी पूरे होंगे कांग्रेस सिर्फ खोखली घोषणाएं करती है.’ चौधरी ने आगे कहा, ‘पीएम मोदी ने 10 वर्षों में देश के लिए जो भी काम किया है, मुझे लगता है कि लोग उनके साथ हैं. विपक्ष के पास दृष्टिकोण नहीं है और लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया है.’ भाजपा प्रत्याशी यहीं नहीं रुके. इंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘राहुल गांधी ने ही यह बात कही है कि अगर वे सत्ता में आए तो हर व्यक्ति की जांच होगी. राहुल गांधी को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, वे खुद बेल पर हैं. पूरा देश जानता है कि उन्होंने उनके समय में कितने घोटाले किए. वे कभी न तो प्रधानमंत्री बन सकते हैं न ही देश का नेतृत्व कर सकते हैं. पूरा देश PM मोदी के साथ है और यह घमंडिया गठबंधन कहीं आस-पास भी नहीं है.’

बताते चलें कि इस संसदीय सीट पर कांग्रेस ने इस बार राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी छोड़कर आए उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में इस सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है. मिशन-25 के तहत बीजेपी हर हाल में यह सीट जीतना चाहती है. जबकि कांग्रेस उम्मेदाराम को प्लस प्वाइंट मानते हुए जीत की उम्मीद कर रही है. उधर, रविंद्र सिंह भाटी अपनी रैलियों में उमड़ रही समर्थकों की भारी भीड़ के बल पर जीत का दावा कर रहे हैं. हालांकि इस बार किसका पलड़ा भारी रहता है, ये 4 जून को रिजल्ट आने पर तय हो जाएगा.

बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट राजस्थान के पश्चिमी इलाके में स्थित है. इन इलाकों में पेयजल, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा सहित मूलभूत सुविधाओं का टोटा है. ऐसे में हर चुनाव में मूलभूत सुविधाएं ही बड़ा मुद्दा बनती रही हैं. इस बार मूलभूत सुविधाओं के साथ जिले में स्थापित हो रही रिफायनरी विंड एवं सोलर पावर सेक्टर सहित मल्टीनेशनल कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने का मुद्दा हावी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही अपनी जनसभा में रिफाइनरी और एयरपोर्ट का मुद्दा उठाते हुए जनता से बड़ा वादा किया था, जिसके बाद इस सीट पर चुनावी समीकरण अचानक बदल गया था. करीब 22 लाख 5 हजार मतदाता वाली इस सीट पर सबसे ज्यादा मूल ओबीसी के करीब 7 लाख मतदाता हैं. इनके अलावा जाट समाज के करीब चार लाख 50 मतदाता हैं. अल्पसंख्यक करीब 2.80 लाख और राजपूत करीब 3 लाख वोट हैं.

विधानसभा चुनाव की हार का दर्द याद दिला गए डोटासरा, राजेंद्र राठौड़ ने ऐसे किया पलटवार

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ईआरसीपी में हुए घोटाले को लेकर सीएम को लिखे गए मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा (Kirori Lal meena) के पत्र को लेकर सियासी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh dotasara) ने भी बयान दिया. अब इस दिए गए बयान पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह राठौड़ (Rajendra Rathore) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

बता दें कि टोंक जिले के उनियारा कस्बे में कल होने वाली पीएम मोदी की चुनावी सभा के लिए राठौड़ को प्रभारी नियुक्त किया गया है. इसी सिलसिले में बीजेपी कार्यालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राजस्थान में तीसरी बार भाजपा क्लीन स्वीप करने जा रही है. राठौड़ में प्रदेश सरकार के पहले 100 दिनों में किए गए गए कामों को भी गिनाया और साथ ही कहा कि ईआरसीपी को लेकर किया गया एमओयू ऐतिहासिक कदम है.

बीजेपी नेता ने आरोप लगाए कि बीजेपी के मिशन-400 को पूरा होते देख, कांग्रेस और विपक्षी पार्टी यह भ्रम फैलानें में लगे हुए हैं कि बीजेपी संविधान में बदलाव कर आरक्षण के साथ छेड़छाड़ कर सकती है. जबकि मोदी व शाह दोनों अपने राजस्थान व अन्य राज्यों में हुई चुनावी सभाओं में साफ कर चुके हैं कि बीजेपी का इस तरह के बदलाव का कोई इरादा नहीं है.

 

पाकिस्तान की संसद से सांसदों और पत्रकारों के जूते गायब, 24 घंटे बाद भी चोरों को ढूंढ नहीं पाए सुरक्षाकर्मी

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पाकिस्तान की संसद में शुक्रवार को अजीब घटना दिखी। पाकिस्तानी वेबसाइट द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक कम से कम 20 सांसदों व पत्रकारों के जूते चोरी हो गए। ये घटना तब हुई जब लोग संसद परिसर में मौजूद मस्जिद में नमाज पढ़ने गए थे।

नमाज पढ़कर जब लोग बाहर आए तो उन्होंने पाया कि उनके जूते गायब हो गए हैं। चोर कम से कम 20 जोड़ी जूते अपने साथ लेकर चले गए थे। चोरी के बाद इन सांसदों और पत्रकारों को बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। वे अपने जूते की तलाश में बेचैन नजर आ रहे थे।

जूते न मिलने की सूरत में उन्हें नंगे पांव ही अपने घर जाना पड़ा। इस घटना के बाद संसद के सुरक्षाकर्मी भी सिर खुजाते नजर आए। घटना की जानकारी मिलने के बाद नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक ने तुरंत हस्तक्षेप किया और सुरक्षा विभाग से रिपोर्ट की मांग की है। उल्लंघन पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए, नेशनल असेंबली स्पीकर ने सुरक्षा चूक पर गंभीर चिंता व्यक्त की और तुरंत मामले की गहन जांच के आदेश दिए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अंदरूनी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नमाज के वक्त संसद में मौजूद सुरक्षा अधिकारी अपनी पोजिशन पर तैनात नहीं थे, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई। संयुक्त सचिव प्रशासन और सार्जेंट एट आर्म्स को घटना की जांच करने का काम सौंपा गया है, साथ ही सीसीटीवी फुटेज निगरानी के माध्यम से अपराधियों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस चोरी के पीछे भिखारी माफियाओं का हाथ होने की आशंका जताई। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में भिखारियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। इनके खिलाफ जागरूकता के लिए अभियान भी चलाया गया है।” रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में भीख मांगना एक बड़ा बिजनेस बन चुका है।

Earth Day: आखिर क्यों हम मनाते हैं पृथ्वी दिवस, 22 अप्रैल की तारीख क्यों चुनी गई? जानें इतिहास

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What is World Earth Day

World Earth Day 2024: दुनियाभर में आज 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। पृथ्वी दिवस पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस हमें पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के महत्व के बारे में बताने के लिए मनाया जाता है। इस दिन हमें ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पर्यावरणविदों के जरिए पता चलता है। पृथ्वी दिवस जागरूकता बढ़ाता है और पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है। ये दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ हमारे कितने गहरे संबंध हैं और इसके बिना मानव जीवन संभव नहीं है। विश्व पृथ्वी दिवस 2024 तारीख और थीम (Earth Day Date & Theme) विश्व पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस आज 192 से अधिक देशों में मनाया जाता है। यह तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद के मौसम के वक्त आता है। विश्व पृथ्वी दिवस 2024 का विषय ग्रह बनाम प्लास्टिक (Planet vs Plastics) है। इस थीम का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर मुद्दे के प्रति लोगों को जागरुक करना और प्रेरित करना। इस थीम के उद्देश्य के तहत पृथ्वी को बचाने के लिए यहां से प्लास्टिक को खत्म करना है। 2040 तक सभी प्लास्टिक के उत्पादन में 60 प्रतिशत की कटौती करना ही इसका लक्ष्य है।

 

विश्व पृथ्वी दिवस इतिहास (World Earth Day History)

पृथ्वी दिवस की उत्पत्ति लगभग 1970 से हुई है। इसको मनाने के पीछे का विचार अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन और हार्वर्ड के छात्र डेनिस हेस का था। वे दोनों अमेरिका में बिगड़ते माहौल और जनवरी 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में बड़े पैमाने पर तेल रिसाव से बहुत परेशान थे। जेराल्ड नेल्सन और डेनिस हेस दोनों, पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर काफी चिंतित थे। वह वायु और जल प्रदूषण के बारे में कुछ करना चाहते थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के विचार को व्यापक जनता तक पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम किए। 22 अप्रैल की तारीख अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने इसलिए चुनी थी क्योंकि इस दौरान ज्यादातर कॉलेजों में वसंत ऋतु को लेकर हॉलीडे होता है। उस वक्त इस अभियान को अमेरिका भर में 20 मिलियन लोगों का साथ मिला था। जेराल्ड नेल्सन ने सितंबर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में घोषणा की थी कि 1970 की वसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जाएगा। कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पृथ्वी दिवस को अलबर्ट के जन्मदिन यानी 22 अप्रैल को मनाया जाता है। अलबर्ट, जिसने तत्कालीन सांस्कृतिक और पर्यावरण चेतना पर बहुमूल्य प्रभाव डाला था। 1990 तक पृथ्वी दिवस, एक ग्लोबल इवेंट बन गया था। यह दिन मनुष्यों को हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने, पर्यावरणीय कारणों का समर्थन करने और भविष्य में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

 

RR vs MI: राजस्थान बनाम मुंबई का IPL मैच कौन जीतेगा? महामुकाबले से पहले जानें हेड-टू-हेड रिकॉर्ड

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RR vs MI Head to Head Record: आईपीएल में आज मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स के बीच धमाकेदार मुकाबला होने की उम्मीद की जा सकती है। राजस्थान रॉयल्स अंक तालिका में इस समय बादशाह बनी हुई है। नम्बर एक पर मौजूद रॉयल्स धीरे-धीरे प्लेऑफ़ की तरफ कदम बढ़ा रही है। मुंबई इंडियंस की मुश्किलें अभी जारी हैं। मुंबई इंडियंस ने इस सीजन अभी तक महज 3 मैचों में जीत दर्ज की है। प्लेऑफ़ की दौड़ में बने रहने के लिए मुंबई को अब कुछ मैचों में जीत दर्ज करनी होगी। अन्य टीमें मजबूती के साथ तालिका में बनी हुई हैं। पांच बार की चैम्पियन मुंबई इंडियंस को बेहतरीन रणनीति की आवश्यकता है। मुंबई इंडियंस के पूर्व कप्तान रोहित शर्मा ने धाकड़ फॉर्म दर्शाई है। वह इस सीजन एक शतकीय पारी खेलने में सफल रहे हैं। राजस्थान रॉयल्स की तरफ से जोस बटलर की फॉर्म बेहतरीन रही है। वह दो बार शतकीय पारियां खेलने में सफल रहे हैं। दोनों खिलाड़ियों के ऊपर नजरें रहने वाली हैं।

राजस्थान रॉयल्स और मुंबई इंडियंस के बीच आईपीएल मैचों में कड़ी टक्कर देखने को मिली है। दोनों टीमों के बीच अब तक कुल 29 मुकाबले खेले गए हैं। उनमें मुंबई इंडियंस का पलड़ा भारी रहा है। मुंबई इंडियंस ने 15 मैचों में जीत दर्ज की है। 13 मैचों में रॉयल्स ने जीत हासिल की है। 1 मुकाबला अनिर्णीत रहा है। राजस्थान रॉयल्स vs मुंबई इंडियंस मैच में कौन जीतेगा इस सीजन राजस्थान रॉयल्स का प्रदर्शन अलग लेवल का रहा है। रॉयल्स वह पहली टीम है जिसने छह मैचों में जीत दर्ज की है। मुंबई इंडियंस ने तीन ही मैचों में जीत हासिल की है। मुंबई इंडियंस का पलड़ा गेंदबाजी में कमजोर है। राजस्थान का घरेलू मैदान है, इस वजह से यह मैच राजस्थान रॉयल्स के पक्ष में जा सकता है। मुंबई इंडियंस टीम इशान किशन (विकेटकीपर), रोहित शर्मा, सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा, हार्दिक पंड्या (कप्तान), टिम डेविड, रोमारियो शेफर्ड, मोहम्मद नबी, जेराल्ड कोएट्जिया, श्रेयस गोपाल, जसप्रीत बुमराह, आकाश मधवाल, नुवान तुषारा, कुमार कार्तिकेय, पीयूष चावला , नमन धीर, ल्यूक वुड, हार्विक देसाई, शम्स मुलानी, अर्जुन तेंदुलकर, नेहल वढेरा, शिवालिक शर्मा, अंशुल कंबोज, डेवाल्ड ब्रेविस, क्वेना मफाका राजस्थान रॉयल्स टीम यशस्वी जयसवाल, संजू सैमसन (विकेटकीपर/कप्तान), रियान पराग, ध्रुव जुरेल, शिमरोन हेटमायर, रोवमैन पॉवेल, रविचंद्रन अश्विन, ट्रेंट बोल्ट, अवेश खान, कुलदीप सेन, युजवेंद्र चहल, जोस बटलर, टॉम कोहलर-कैडमोर, शुभम दुबे, नवदीप सैनी, नंद्रे बर्गर, संदीप शर्मा, केशव महाराज, तनुश कोटियन, डोनोवन फरेरा, आबिद मुश्ताक, कुणाल सिंह राठौड़

राजस्थान में आज आंधी-बारिश का अलर्ट:जयपुर समेत 10 जिलों में बदलेगा मौसम, बाड़मेर में पारा 39 डिग्री तक पहुंचा

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राजस्थान में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक्टिव होने के साथ ही एक बार फिर आंधी-बारिश का दौर शुरू हो गया है। रविवार देर रात हनुमानगढ़ के भादरा, चूरू के सरदारशहर और बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ में बारिश के बाद लोगों को गर्मी से राहत मिली। इससे तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। मौसम केंद्र के अनुसार, आज भी जयपुर सहित 10 जिलों में आंधी-बारिश हो सकती है।

अधिकतम तापमान 37 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा

रविवार को राजस्थान के तमाम शहरों में गर्मी ने परेशान किया। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर में कल दिन का अधिकतम तापमान 37 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। सबसे ज्यादा तापमान बाड़मेर में 39.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।गंगानगर, बीकानेर में कल दिन का अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा, जो सामान्य से करीब 3 डिग्री सेल्सियस कम था। अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर, उदयपुर में भी कल दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहा। यहां कल तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ

जयपुर में बादल छाए, तापमान गिरा

राजधानी जयपुर में कल सुबह आसमान साफ रहने के बाद दोपहर में कुछ जगह हल्के बादल छाए। दोपहर में बादलों की आवाजाही से कल दिन का तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस गिरकर 35.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। जयपुर में आज दोपहर के बाद धूलभरी हवा चलने की संभावना है। इसके साथ कई जगह बादल छाने और कहीं-कहीं हल्की बारिश या बूंदाबांदी भी हो सकती है।

आज इन जिलों में बारिश-आंधी का अलर्ट

मौसम केन्द्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया- आज जयपुर, अलवर, दौसा, भरतपुर, सीकर, झुंझुनूं, हनुमानगढ़, गंगानगर, चूरू और बीकानेर के जिलों का मौसम बदल सकता है। इन जिलों में दोपहर बाद 30 से 40KM स्पीड तक आंधी चल सकती है। इसके साथ आसमान में बादल छा सकते है और गरज-चमक के साथ कुछ स्थानों पर हल्की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है।

Rajasthan Lok Sabha Election Voting Turnout: राजस्थान में 2014 के बाद पहले फेज की वोटिंग में बड़ी गिरावट, किसको होगा नुकसान?

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राजस्थान में शुक्रवार को पहले चरण का मतदान पूरा हो गया है. इस दौरान कई जिलों से अलग-अलग तस्वीरें सामने आई. कहीं पर शादी की रस्में छोड़कर दूल्हा-दुल्हन मतदान करने पहुंचे तो कहीं पर दो पार्टियों के समर्थकों के बीच झड़प देखने को मिली. दौसा में मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ‘वोट बारात’ लेकर मतदान करने पहुंचे. तो झुंझुनूं में IRS अधिकारी सुशील कुल्हरि 21 किमी की दौड़ लगाकर मतदान करने पहुंचे. नागौर के कुचेरा में बीजेपी-आरएलपी समर्थक आपस में भिड़ गए. मौके पर पहुंचे रिछपाल मिर्धा ने पुलिस के साथ धक्का मुक्की की. वहीं चूरू में फर्जी वोटिंग रोकने के चक्कर दो पक्ष के लोगों में झगड़ा हो गया. एक व्यक्ति के सिर में चोट भी लगी. इसी तरह लोकतंत्र के इस पर्व में प्रदेश में पहले चरण का मतदान हुआ. इस बार 2019 की तुलना में वोटिंग प्रतिशत कम दिखाई दिया. प्रदेश में 12 सीटों पर इस बार करीब 6 फीसदी कम मतदान हुआ. इन सीटों पर 57.87 प्रतिशत मतदान हुआ. इनमें EVM पर 57.26 और पोस्टल बैलट पर 0.61 प्रतिशत वोटिंग हुई. फाइनल आंकड़ें चुनाव आयोग आज जारी करेगा. हालांकि इनमें मामूली बदलाव देखने को मिलेगा. 2019 में पहले चरण में 63.72% मतदान देखने को मिला था. जो कि इस बार से 6 प्रतिशत कम है.

 

पिछले चुनावों में कितना मतदान हुआ था

अगर हम पिछले 3 चुनावों की बात करें इनमें काफी अंतर देखने को मिलेगा. वर्ष 2009 में 12 सीटों पर 48.12% मतदान हुआ. 2014 में मोदी लहर में यह मतदान बढ़कर 61.66% हो गया था. वहीं 2019 में 63.72% मतदान हुआ और इस बार मतदान 57.87% आ पहुंचा. पिछले बार की तुलना में इस बार 5.85% वोटिंग कम हुई.

किस पार्टी को नुकसान?

चुनाव में कम वोटिंग होने से किस एक पार्टी को नुकसान होगा यह कहना तो मुश्किल होगा. लेकिन प्रदेश में जिसकी सरकार होती है तो संभवता कहा जाता है उस पार्टी को नुकसान होता है. अगर बीजेपी के वोटिंग प्रतिशत में कमी आती है तो सीधा-सीधा पिछली बार कम मार्जिन से जीत वाली सीटों पर टक्कर की संभावना बनेगी. इस बार जिन सीटों पर वोटिंग प्रतिशत घटा है वहां टक्कर की स्थिति बन सकती है.

 

किस जिले में कितना पड़ेगा असर

गंगानगर में पिछली बार की तुलना में 8.75% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 4 लाख वोटों से जीती थी.

बीकानेर में 2019 की तुलना में 5.28% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 2 लाख 64 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.

चूरू में 2019 की तुलना में 2.68% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 34 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी.

झुंझुनूं में 2019 की तुलना में 9.52% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 45 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी.

सीकर में 2019 की तुलना में 7.48% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 2 लाख 57 हजार 156 वोटों से जीत दर्ज की थी.

जयपुर ग्रामीण में 2019 की तुलना में 8.42% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 93 हजार 172 वोटों से जीत दर्ज की थी.

जयपुर में 2019 की तुलना में 5.24% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 4 लाख 30 हजार 626 वोटों से जीत दर्ज की थी.

अलवर में 2019 की तुलना में 7.05% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 29 हजार 971 वोटों से जीत दर्ज की थी.

भरतपुर में 2019 की तुलना में 6.16% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 3 लाख 18 हजार 399 वोटों से जीत दर्ज की थी.

करौली-धौलपुर में 2019 की तुलना में 5.78% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार  27 हजार 296 वोटों से जीत दर्ज की थी.

दौसा में 2019 की तुलना में 6.00% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 78 हजार 444 वोटों से जीत दर्ज की थी.

नागौर में 2019 की तुलना में 5.14% कम वोटिंग हुई है, यहां भाजपा पिछली बार 1 लाख 81 हजार 260 वोटों से जीत दर्ज की थी.