Friday, April 19, 2024
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Good News: भजनलाल सरकार शिक्षा विभाग के 12484 पदों की भर्ती प्रकिया को 90 दिन में पूरा करेगी

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जयपुर. राजस्थान शिक्षा विभाग से अच्छी खबर सामने आई है. शिक्षा विभाग पिछली सरकार की अधूरी चल रही भर्तियों को जल्द अमली जामा पहनाएगा. सूबे की नई भजनलाल सरकार ने इस टास्क को अपने 100 दिन की कार्ययोजना के एजेंडे में शामिल किया है. कार्ययोजना के तहत नई भाजपा सरकार पिछली सरकार की प्रक्रियाधीन सभी भर्तियों को पूरी करने के साथ ही विभाग के खाली पदों की गणना करवाकर नई भर्तियां भी निकालेगी

इसके लिए सरकार ने सक्षम स्तर से विभाग को निर्देशित कर दिया है. शिक्षा विभाग सरकार के इस आदेश के बाद 12484 पदों पर प्रक्रियाधीन भर्तियों को 90 दिन में पूरा करेगा. इनमें व्याख्यता, वरिष्ठ अध्यापक, वरिष्ठ शारिरिक शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक और बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक के पद शामिल हैं.

सूची में इन भर्तियों को किया गया है शामिल
बीजेपी सरकार की 100 दिन की कार्ययोजना में 2592 पदों पर व्याख्याता, 8842 पदों पर वरिष्ठ अध्यापक, 461 पदों पर वरिष्ठ शारीरिक ​शिक्षक, 61 पदों पर प्रयोगशाला सहायक और 528 पदों पर बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक की भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है. संबंधित फाइलों को खंगाला जा रहा है.

शिक्षकों और छात्रों को भी खुशखबरी देने की भी है तैयारी
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग इसके साथ ही नए साल में शिक्षकों और छात्रों को भी खुशखबरी देने की तैयारी करने में जुटा है. इसके तहत शिक्षा विभाग अगले एक महीने में शिक्षक तबादला नीति का ड्राफ्ट भी तैयार करने में जुटा है. अगर तबादला नीति ड्राफ्ट निर्धारित समय बन जाता है तो बीते पांच साल से तबादलों का इंतजार कर रहे तृतीय श्रेणी शिक्षकों की मुराद भी जल्द ही पूरी हो जाएगी.

गहलोत सरकार में नहीं बन पाया था तबादला नीति का ड्राफ्ट
इन शिक्षकों के तबादले वर्ष 2018 में पिछली बीजेपी सरकार के समय में ही हुए थे. उसके बाद कांग्रेस सरकार में तबादला नीति का ड्राफ्ट औपचारिकताओं में ही उलझकर रह गया था. उसके कारण तृतीय श्रेणी के शिक्षकों के पांच साल तक तबादले ही नहीं हो पाए थे. इससे गहलोत सरकार को शिक्षकों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा था.

भजनलाल सरकार का एक और बड़ा एक्शन, पार्षदों का मनोनयन किया निरस्त; गहलोत सरकार में किए गए थे मनोनीत

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राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे है। हाल ही में संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त की थी। अब राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर सभी मनोनीत पार्षदों को मनोनयन निरस्त कर दिया है। इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं।

बता दें इससे पहले भी राजस्थान सरकार ने हाल ही में संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त की थी। अब राज्य सरकार ने मनोनीत पार्षदों को मनोनयन निरस्त किया है। इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं।

इस नियम के तहत पार्षदों को निरस्त किया गया

विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव हृदेश कुमार शर्मा की ओर जारी आदेश में बताया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के परन्तुक (ii) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार राज्य की समस्त नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में मनोनीत किए गए सदस्यों (सहवृत) को एतद् द्वारा तत्काल प्रभाव से उनका मनोनयन निरस्त किया जाकर उन्हें (सहवृत) सदस्य से हटाया जाता है।

सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त

गौरतलब है कि स्वायत्त शासन विभाग ने संविदा के रूप में ली जा रही सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी थी। इनमें सेवानिवृत आरएएस, लेखाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव हृदेश कुमार शर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी किए थे।

विदित है कि राज्य सरकार के इस बड़े फैसले से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचने वाला है। हाल ही में इसी विभाग ने कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारी की सेवा को खत्म करने का आदेश जारी किया था।

Rajasthan News Live: स्कूली बच्चों से भरी बस ट्रेलर से टकराई, 2 मौत,12 बच्चे घायल

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राजस्थान में बीजेपी सरकार बन चुकी है. मंत्रिपरिषद का गठन हो गया है. अब इंतजार है नेता प्रतिपक्ष के ऐलान का. कहा जा रहा है कभी भी नेता प्रतिपक्ष का ऐलान हो सकता है. उधर सीएम भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) से मुलाकात की. जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच विधानसभा सत्र लेकर चर्चा की गई. रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में 19 जनवरी से विधानसभा सत्र की शुरुआत हो रही है. ऐसे में सभी की नजरे इस बात पर टिकी है कि कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कब करेगी

हिट एंड रन कानून के खिलाफ चक्का जाम, क्यों हो रहा कानून का विरोध, क्या है ड्राइवरों की मांग, जानें सबकुछ

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बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र और पंजाब तक बस और ट्रक के ड्राइवरों ने हिट एंड रन कानून के खिलाफ हड़ताल का ऐलान कर रखा है। इस कारण कहीं स्कूल बंद कर दिए गए हैं तो कहीं सामान की सप्लाई में रुकावट पैदा हो गई है। हालात ऐसे हैं कि पेट्रोल पंप पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं और लोग ज्यादा से ज्यादा पेट्रोल-डीजल लेकर घर जाना चाह रहे हैं। लेकिन ये नौबत आई क्यों? आखिर क्यों ड्राइवर इस कानून को विरोध में हैं और क्या हैं उनकी मांग? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।

पहले जानें क्या है हिट एंड रन कानून के नियम

कुछ ही दिनों पहले संसद ने भारतीय न्याय संहिता को पास किया था। इसमें हिट एंड रन के मामले को लेकर नए कानून बनाए हैं। इसमें मुख्यत: दो भाग हैं- पहला कि अगर कोई ड्राइवर लापरवाही के कारण किसी की मौत का कारण बनता है तो ये गैर इरादतन हत्या नहीं होगी। उसे 5 साल तक की सजा हो सकती है। वहीं, अगर कोई ट्रक या डंपर या वाहन चालक किसी व्यक्ति को कुचल कर अधिकारियों को बिना सूचना दिए भाग जाता है तो उसे अब 10 साल तक की जेल हो और 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, घायल को अस्पताल पहुंचाने पर सजा में कुछ रियायत का प्रावधान भी किया गया है।

पहले क्या थे कानून?

हिट एंड रन के लिए नए कानून बनने से पहले हादसा करने वाले ड्राइवरों के खिलाफ IPC की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाने), धारा 304ए  (लापरवाही से मौत) और धारा 338 (जान जोखिम में डालने ) के तहत केस दर्ज किया जाता था। इसमें  दो साल की सजा का प्रावधान था। कई बार ड्राइवर को आसानी से जमानत मिल जाती थी। हालांकि, अब नए कानून में अगर ड्राइवर किसी को कुचल कर फरार हो जाता है तो उसके खिलाफ धारा 104(2) के तहत केस दर्ज होगा और 10 साल की जेल और जुर्माना भरना पड़ेगा।

क्या हैं ड्राइवर्स की मांग?

बस और ट्रक ड्राइवरों की इस हड़ताल का नेतृत्व ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AITMC) कर रही है। AITMC का कहना है कि नए कानून में कई खामियां हैं जिनपर दोबारा सोचे जाने की जरूरत है। जानकारों की मानें तो ड्राइवर नए कानून के तहत आने वाले कड़े प्रावधानों यानी 10 साल की सजा और जुर्माने की रकम को लेकर चिंता में हैं। कुछ ने इसे काफी कठोर कानून बताया है। वाहन चालक पीएम मोदी से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

पेट्रोल पंप पर क्यों लग रही कतार?

ट्रक ड्राइवर्स की हड़ताल का कई राज्यों में बड़ा असर देखने को मिल रहा है। पेट्रोल पंप पर लंबी कतारें देखीं जा रही हैं। दरअसल इसका कारण है लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर पैनिक बायिंग यानी कि ज्यादा ईंधन की खरीद। ट्रक ड्राइवरों की इस हड़ताल के कारण ईंधन के पेट्रोल पंप तक पहुंचने में समस्या आ रही है। ऐसे में लोगों में पेट्रोल-डीजल की कमी का भय है। यही कारण है कि पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है।

बड़ी खबर: क्या आगामी दिनों में होने वाली आरएएस मुख्य परीक्षा की तारीख होगी चेंज?

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जयपुर न्यूज: आरएएस भर्ती 2023 मुख्य परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर आरएएस अभ्यर्थियों ने सीएम भजन लाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा है. आरएएस अभ्यर्थी कुलदीप सिंह चारण ने बताया कि आरएएस मुख्य परीक्षा के लिए आगामी 27-28 जनवरी को तारीख तय की गई है. अभ्यर्थियों को तैयारी के लिए परीक्षा को 2-3 महीने आगे बढ़ाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने भर्तियों में पारदशिर्ता की बात कही थी लेकिन अभी आरपीएससी की प्रिंटिंग प्रेस और पेपर बनाने वाले एक्सपर्ट वहीं जो पिछली सरकार में थे. वह अभी संदेह के घेरे में हैं.इसके साथ ही युवाओं ने ज्ञापन में बताया कि आरपीएससी के वर्तमान अध्यक्ष के कार्यकाल में कई भर्तियों के पेपर आउट हुए थे. इनका अगस्त 2024 में कार्यकाल पूरा हो रहा है. उससे पहले वह आरएएस मेंस और इंटरव्यू करवाना चाहते हैं जो अभ्यर्थियों के मन में संदेह पैदा करता है. इसके साथ ही इस परीक्षा में शामिल होने वाले ज्यादातर अभ्यर्थी सरकारी सेवा से हैं. जिनको चुनावी ड्यूटी में लगा दिया गया था. जिससे उन्हें तैयारी का मौका नहीं मिला. मेंस परीक्षा के लिए अब तक का सबसे कम समय दिया गया है.युवाओं ने कहा कि आयोग की ओर से जारी की गई प्रारंभिक परीक्षा की उत्तरकुंजी में कई कमियां है. जिसको लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है. न्यायालय में चल रहे वाद के कारण अभ्यर्थियों में उहापोह ((द्वंद्व की स्थिति)) की स्थिति बनी हुई है. अथ्यर्थियों को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अभ्यर्थियों की मांग पर इस परीक्षा को आगे बढ़ाने से अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी.

सरकार रहते गहलोत को झेलनी पड़ी थी बगावत, अब पायलट के सामने इस बात पर अड़ गए गहलोत?

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राजस्थान में कांग्रेस (Rajasthan Congress) की चुनाव हार के बाद अब संगठन स्तर पर कई फैसले लेने की तैयारी है. सबसे पहले सदन के नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी को फैसला लेना है. इस लिस्ट में पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का नाम सामने आ रहा है. जिसमें पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (sachin pilot), हरीश चौधरी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सीडब्ल्यूसी सदस्य महेंद्रजीत मालवीया का नाम चल रहा है. ऐसे में देखना यह है कि पार्टी इनमें से किन नेताओं के नाम पर मुहर लगाएगी?

इधर, हार के बाद संगठन में लगातार चल रहा मंथन

नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी में लगातार मंथन चल रहा है. दिल्ली से लेकर जयपुर तक माथापच्ची का दौर जारी है. अंदरखाने खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पायलट, दोनों के गुट इस पद को लेकर भी आमने-सामने है. यानी सरकार जाने के बाद प्रतिपक्ष नेता को लेकर भी खींचतान का दौर जारी है. दोनों गुट अपने -अपने करीबी नेता को प्रतिपक्ष का नेता बनाना चाहते हैं. चर्चाएं हैं कि सचिन पायलट खुद इस पद में रुचि नहीं रखते हैं. लेकिन पायलट चाहते हैं कि हरीश चौधरी प्रतिपक्ष के नेता बने. वहीं, गहलोत चाहते हैं कि महेंद्रजीत सिंह मालवीय या गोविंदसिंह डोटासरा में से किसी एक को प्रतिपक्ष का नेता बनाया जाए. इस पर फैसला संगठन को लेना है और मुमकिन है कि यह पूरी तस्वीर अगले दो-तीन दिन में साफ हो जाए

Winter Session of Parliament: अश्विनी वैष्णव आज राज्यसभा में पेश करेंगे दूरसंचार विधेयक, 2023

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दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से पेश इस विधेयक को असांविधानिक बताते हुए बसपा सांसद रितेश पांडे ने गहन चर्चा की जरूरत बताई। तब वैष्णव ने कहा, चर्चा के दौरान सरकार सभी आपत्तियों का जवाब देगी। नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा।

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। इस दौरान सरकार ने 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम सहित तीन कानूनों की जगह लेने वाले दूरसंचार विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक लागू होने पर सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी देश या व्यक्ति के टेलीकॉम सेवा से जुड़े उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का अधिकार होगा। इससे आपात स्थिति में मोबाइल सेवाओं और नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा।

विधेयक के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित के खिलाफ काम करने, अवैध फोन टैपिंग, अनधिकृत डाटा स्थानांतरण या दूरसंचार नेटवर्क तक पहुंच की कोशिश पर तीन साल तक की कारावास की सजा या 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। या फिर दोनों ही सजा हो सकती है। केंद्र सरकार ऐसे व्यक्ति की दूरसंचार सेवा को निलंबित या समाप्त भी कर सकती है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से पेश इस विधेयक को असांविधानिक बताते हुए बसपा सांसद रितेश पांडे ने गहन चर्चा की जरूरत बताई। तब वैष्णव ने कहा, चर्चा के दौरान सरकार सभी आपत्तियों का जवाब देगी। यह नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा।

लाइसेंस विवाद का तत्काल निपटारा

लाइसेंस से जुड़े नियमों-शर्तों के उल्लंघन की जांच के लिए निर्णय तंत्र बनेगा। इससे जुड़ा अधिकारी जांच कर आदेश पारित कर सकेगा।

 

विज्ञापन के लिए पूर्व अनुमति जरूरी

विधेयक के अनुसार कंपनियों को प्रचार-विज्ञापनों के प्रसार के लिए उपभोक्ताओं की पूर्व अनुमति लेनी होगी। अधिक मूल्य की वसूली पर ट्राई सही कीमत तय करेगा। साथ ही, जांच के साथ कार्रवाई भी कर सकेगा।

 

ओटीटी दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से होगा बाहर

नए विधेयक में उद्योग जगत की चिंताओं का ख्याल रखते हुए ओवर द टॉप (ओटीटी) या इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग को दूरसंचार की परिभाषा में नहीं रखा गया है। इससे व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी।

 

स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रस्ताव

इस मसौदा कानून से दूरसंचार कंपनियों के लिए कई अहम नियम सरल तो होंगे ही, इसके जरिये उपग्रह सेवाओं के लिए भी नए नियम भी लाए जाएंगे। इसमें उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर-नीलामी का मार्ग उपलब्ध कराने के प्रावधान हैं। परिभाषित किया गया है कि किस परिस्थिति में प्रशासनिक तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटित किए जाएंगे।

 

प्रतिबंधित होने पर ही प्रेस संदेशों पर लगेगी रोक

विधेयक के अनुसार, केंद्र या राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के भारत में प्रकाशन के लिए जारी किए गए प्रेस संदेशों को तब तक रोका नहीं जाएगा, जब तक कि उनके प्रसारण को सार्वजनिक आपातकाल, सार्वजनिक व्यवस्था के लिए लागू नियमों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।

Ruma Devi Barmer: राजस्थाiन में 22 हजार महिलाओं को रोजगार देने वालीं रूमा देवी ने अब छेड़ी तगड़ी मुहिम

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Ruma Devi Barmer Rajasthan: 5 साल की उम्र में मां को खोया। दादी के पास रहकर पली-बढ़ी। कई किमी दूर से बैलगाड़ी पर पानी ढोया। आठवीं तक ही पढ़ पाईं। बेइंतेहा गरीबी देखी। पाई-पाई को मोहताज हुईं और बाल विवाह तक का दंश झेला, मगर आज हजारों महिलाओं की तरक्‍की की उम्‍मीद बन चुकी हैं। नाम है रूमा देवी। राजस्‍थान में रूमा देवी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर बसे बाड़मेर से रूमा देवी ने नारी शक्ति पुरस्‍कार और हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय में व्‍याख्‍यान तक का सफर तय कर लिया। आज हम रूमा देवी का जिक्र इसलिए कर रहे हैं कि इन्‍होंने महिलाओं के लिए डिजिटल साक्षरता की मुहिम छेड़ रखी है।

बातचीत में सामाजिक कार्यकर्ता और अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प डिजाइनर डॉ. रूमा देवी कहती हैं कि उनके एनजीओ के ट्रेनर रूपेश कुमार, मोहन लाल व राघाराम बालोतरा व बाड़मेर की गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर महिलाओं को डिजिटल साक्षर कर रहे हैं ताकि वे अपने उत्‍पादों की ऑनलाइन बिक्री कर सके। उन्‍हें ऑनलाइन पेमेंट प्राप्‍त करने की बेसिक जानकारी हो सके।

जनवरी तक सात हजार का लक्ष्‍य

रूमा देवी कहती हैं कि बाड़मेर की ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान और मेक्सॉक्सो ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘शी इज डिजिटल इंडिया’ मुहिम नवंबर से शुरू की गई। इसके तीसरे चरण में जनवरी 2024 तक कुल 7 हजार महिलाओं को बेसिक डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण दिया जाना है।

कुल 20 हजार महिलाओं में देंगे प्रशिक्षण

रूमा देवी के अनुसार अभी तक इस मुहिम में 13 हजार 6 सौ महिलाओं को बेसिक डिजिटल शिक्षा प्रदान की जा चुकी है। कुल 20 महिलाओं बेसिक डिजिटल शिक्षा देने का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसे आसानी से पूरा कर लिया जाएगा। इससे पहले बाड़मेर, जैसलमेर व बीकानेर की 22 हजार महिलाओं को हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद तैयार करवाकर रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है।

 

Corona Rajasthan: जैसलमेर में 2 युवकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, नए वैरिएंट JN-1 की हो रही जांच

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Corona in Jaisalmer rajasthan after Kerala: केरल के बाद अब राजस्‍थान में भी कोरोना लौट आया है। राजस्‍थान के जैसलमेर के दो युवकों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद से हड़कंप मचा हुआ है।पर्यटन नगरी जैसलमेर के सीएमएचओ डॉ. बीएल बुनकर के अनुसार दोनों युवकों को सामान्‍य सर्दी-जुकाम था। जांच करने पर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। केरल में सामने आए कोरोना के नए वैरिएंट JN-1 की जांच के लिए दोनों युवकों के सैंपल बाहर भेजे गए हैं। सीएमएचओ बुनकर ने बताया कि दोनों युवकों की ट्रैवल हिस् खंगाली जा रही है और इनके संपर्क में आए लोगों के भी सैंपल लिए जा रहे हैं। संदिग्‍धों को होम आईसोलेट किया गया है । दोनों युवकों के परिवार और संपर्क में आए लोगों का भी सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेजा गया है। पिछले साल जैसलमेर में कोराना से एक डेढ़ा गांव में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। कोरोना पॉजिटिव के 92 केस सामने आए थे। दरअसल, हाल ही केरल में कोराना के नए वैरियंट JN-1 से संक्रमित मरीज मिलने के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क रहने के लिए कहा है। कर्नाटक में तो 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।

पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा की समाधि स्थल पर असमाजिक तत्वों का आतंक, जातिसूचक शब्दों से रंगी दीवार

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राजस्थान में एक ओर अपराध और भयमुक्त राज्य बनाने के लिए नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा लगातार बैठक और कड़े फैसले कर रहे हैं लेकिन जयपुर से दूर कई शहरों में अपराधियों पर नकेल कसने बहुत जरूरी हो गया है। क्योंकि 16 दिसंबर की रात सरदारशहर से दुर्भाग्यजनक तस्वीरें सामने आ रही हैं। बता दें सरदारशहर में तारानगर रोड पर स्थित पूर्व विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा की समाधि स्थल पर रात को असामाजिक तत्वों के द्वारा तोड़फोड़ की गई है, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

स्वर्गीय पूर्व मंत्री भंवरलाल शर्मा की समाधि स्थल पर तोड़फोड़

दरअसल, सरदारशहर में राजस्थान के पूर्व मंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय पंडित भंवरलाल शर्मा की समाधि स्थल पर कुछ असमाजिक तत्वों ने तोड़फोड़ की है। तोड़फोड़ के दौरान भंवरलाल शर्मा की प्रतिमा को भी खंडित किया गया है। साथ ही समाधि स्थल की दीवारों पर जातिसूचक शब्द भी लिखे गए हैं, जिसको लेकर पूरे सरदारशहर में रोष का माहौल है। घटना को लेकर एसआई मंगूराम ने बताया कि इस मामले में पुलिस जांच करने में जुट गई है जो जिन भी असामाजिक तत्वों के द्वारा समाधि स्थल पर तोड़फोड़ की गई है।सरदारशहर से सामने आई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद लोगों में आक्रोश है और पुलिस प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है। ब्राह्मण समाज और सरदारशहर के विभिन्न संगठनों ने इस घटना की निंदा भी है। इस घटना की सूचना मिलते ही मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस जाप्ता पहुंचकर असामाजिक तत्वों के द्वारा किए गए पद चिह्नों को कवर किया गया है। समाधि स्थल के अंदर रखे हुए गमले और समाधि स्थल के दीवार में लगे शीशों को भी तोड़ा गया है।